अपने ख्वाबों का बादल
जबकि वो ख्वाब तो हमारे अंदर ही होता है,
शायद हम आसमान की तरफ इसलिए देखते है ताकि उस ख्वाब में कुछ नयापन हो,
उस ख्वाब में कुछ अजीब सी तब्दीलीयां हो, जिस्से वो ख्वाब सबसे अलग हो,
मगर क्या हमें इसकी ज़रूरत है,
शायद नहीं क्योंकि उस तब्दीलीयों से हम उस नायाब ख्वाब की एहमियत खो देते है,
उसकी गहराई भूल जाते है,
उसकी सच्चाई खो देते हैं।
ख्वाब अपने आप में एक नयाब इत्र है जिसकी खुशबू अपने आप लोगों में समाई हुई होती है
बिना किसी के पहुंचाने से, वो किसी के मदद के लिए नहीं रूकती वो सिर्फ अपना काम करती जाती है
, बिना किसी आसमान को देखते हुए।
वैसे ही आसमान जो कि खुद अपने बादलों मे खोया रहता है, और हम उन खोए हुए बादलों में अपना ख्वाब ढूंढने लगते हैं, सोचने की बात यह है कि क्या हमें अपने ख्वाबों के बादलों की जरूरत नहीं है ....बिना आसमान को देखते हुए।
- list of pH VALUE & Chart
- वीर चेतक " श्री श्याम नारायण पांडे"
- कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित-NCERT
- कैसे तू अपना कर्ज चुकाएगा- Message For Humans
- कोरोना वायरस (COVID-19) के लक्षण क्या हैं और कैसे कर सकते हैं बचाव?
- Do you know that Love is Something different? Is it so difficult to understand?
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.