भारतीय इतिहास में राजपूताने का गौरव का स्थान रहा है यहां अनेक वीरो ने देश मे धर्म तथा स्वाधीनता की रक्षा के लिए अपने प्राणों को कई बार बलिदान दिया, इन सभी महान योद्धााओ का त्याग और देश के लिए समर्पण सदैव भारत की गौरव को बढ़ाता रहेगा।
भारत वीरों की भूमि और इस वीरों की भूमि पर राजपूतों के छोटे-छोटे अनेक राज्य रह हैं जिसमें मेवाड़ का अपना एक श्रेष्ठ स्थान हैं ।
सभी वीर योद्धाओं में से एक महाराणा प्रताप जिनका जन्म 9 मई 1540 राजस्थान के कुंभलगढ़ मे हुआ, परंतु इनकी जन्म तिथि हिंदी पंचांग के अनुसार जेठ शुक्ल पक्ष तृतीय को मनाई जाती है।
महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुंदा में हुआ था महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह अकबर से भयभीत होकर मेवाड़ त्यागकर अरावली पर्वत पर अपना डेरा डाला, उदयपुर को अपनी नई राजधानी बनाया जबकि तब मेवाड़ भी उनके अधीन ही था।
वैसे तो महाराणा प्रताप की वीरता का वर्णन करना सूर्य को दिया दिखाने के बराबर हैं। 7 फीट की लंबाई और वजन 110 किलो के योद्धा महाराणा प्रताप राजनीतिक, कूटनीतिक, मानसिक एवं शारीरिक छमता के धनी थे कई बार महाराणा प्रताप ने मुगलों को भारत से खदेड़ दिया और कई बार मुगलों ने महाराणा प्रताप के सामने घुटने टेके।
एक कहानीकार के माने तो एक बार अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे उन्होंने अपनी माँ से पूछा मैं "भारत जा रहा हूं आप बताओ मैं भारत से क्या लाऊं ?" तब उनकी माँ ने यह जवाब दिया तुम हल्दीघाटी की मिट्टी लेकर आना जिसे हजारों वीरों ने अपने रक्त से सींचा हैं ।
भारतीय इतिहास के पन्नों में हमारे वीरों की कथा अलौकिक है वीर भूमि पर जितने भी योद्धा हुए सब ने अपने बलिदान एवं समर्पण से भारत का सदैव गौरव बढ़ाया है, परंतु आज हमारे देश में गुणगान मुगलों का ही होता है, मुगलों को वीर बताया जाता है हमारे पुस्तकों में कभी यह खुलकर नहीं बताया जाता कि हमारे देश के वीरो ने किस प्रकार मुगलों को पछाड़ा एवं धर्म की स्थापना के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये।
आज वीर महाराणा प्रताप की जयंती के शुभ अवसर पर हम खुद से संकल्प करें की हम आने वाली पीढ़ी एवं अभी के युवा पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा अपने देश के वीरों की वीरता से अवगत कराते रहेंगे।
इन्हीं वीर गाथाओं में से एक है "चेतक की वीरता", एक बहुत ही मनोहर कविता जिसे Shyam नारायण पांडेय जी ने महाराणा प्रताप के अद्भुत घोड़े का वर्णन करते हुए लिखा जिसका नाम चेतक था, ऐसा माना जाता था चेतक बहुत ही शक्तिशाली एवं बहुत बुद्धिमान घोड़ा था साथ ही साथ यह भी माना जाता है कि राणा की आंख की पुतली फिरने से पहले चेतक मुड़ जाता था या आसान भाषा में कहें तो महाराणा प्रताप की पलक झपकते ही चेतक खुद को मोड़ लेता था एवं युद्ध में महाराणा प्रताप को सहयोग करता था।
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