खिचड़ी का पर्व क्यों मनाया जाता है?

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का विशेष महत्व है। भारत के कई राज्यों में मकर संक्रांति के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने की वजह से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2022 (02 बजकर 43 मिनट) को मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति का एक अन्य नाम खिचड़ी भी है। केवल खिचड़ी ही नहीं मकर संक्रांति को पूरे भारत में अलग अलग नामों से जाना जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई कथाएं हैं। वहीं लगभग हर राज्य में मकर संक्रांति को मनाने के अलग अलग तरीके हैं। कई राज्यों में मकर संक्रांति को मनाने के अनोखे रीति रिवाज हैं। सबके अपनी मान्यताएं और परंपराएं हैं। अलग नाम होने के कारण अक्सर लोग सोचते हैं कि त्योहार भी अलग होगा पर मकर संक्रांति की तिथि के दिन पड़ने वाले ये अन्य त्योहार l

हर राज्य में त्यौहार अलग-अलग परंपराओं एवं संस्कृतियों के साथ मनाया जाता है, परंतु आज हम उत्तर भारत में मकर संक्रांति को खिचड़ी नाम से मनाया जाने वाले पर्व की बात करेंगे। 

इस पर्व में तिल का दान शुभ माना जाता है, इसलिए जब भाई खिचड़ी लेकर अपनी बहन के घर जाता है उस खिचड़ी में तिल का होना अनिवार्य है। 

खिचड़ी से जुड़ी एक कथा महाभारत में भी है, जब द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था, एवं दुशासन अपनी मर्यादा भूल रहा था उसी समय द्रोपती ने अपने भाई भगवान श्री कृष्ण को यह वाक्य कहा "अगर आज आप मेरी लाज बचाने नहीं आए, तो आप माघ के महीने में जब आप खिचड़ी लेकर आओगे तब भले ही खिचड़ी सड़ (खराब) जाए पर मैं उस खिचड़ी को स्वीकार नहीं करूंगी"

हमारे देश के सभी त्योहार पूरी तरह से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होते हैं, यह मकर संक्रांति या खिचड़ी भी पूर्ण रूप से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। 
खिचड़ी का पर्व माघ के महीने में होता है जिस समय उत्तर भारत में ठंड से हाथ कांपते है, और साथ ही अन्य प्रकार की बीमारियां जैसे सर्दी जुखाम आदि से लोग असर ग्रस्त रहते हैं, इन बीमारियों से बचने के लिए, इस मौसम में बीमारियों से बचने के लिए तिल,गुड़ आदि रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले पदार्थों का जमाल कर पकवान एवं व्यंजन बनाए जाते हैं जो पूरा शीत के महीने तक खाया जाता है, और बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान होती है। 

मकर संक्रांति मनाने का ज्योतिषीय कारण यह है कि  इस समय सूर्य का धनु से मकर राशि में आगमन होता है, धनु राशि में सूर्य का आगमन मलमास के तौर पर जाना जाता है। मकर राशि शनि की राशि है जो सूर्य का पुत्र है। मकर राशि में सूर्य के अगामन के समय को मकर सक्रांति कहा गया है। इस राशि में सूर्य के आने से मलमास समाप्त हो जाता है। यह एकमात्र पर्व है जिसे समूचे भारत में मनाया जाता है, मकर सक्रांति के दिन ही गंगा ने सगर के पुत्रों का उद्धार किया था और गंगा सागर में मिली थी।


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