मैं एक किसान हूं। धूप बरसात जाड़ा अन्य समस्याओं से लड़ कर मैं अनाज उगाता हूं वही अनाज देश का पेट भरने के काम आता है। मैं कभी अपने बच्चों को विदेश पढ़ाने की बात नहीं करता, मैं कभी 5 star रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए नहीं कहता, मैं कभी लग्जरी कार में घूमने के लिए नहीं कहता, मैं सिर्फ किसान हूं मैं सिर्फ काम करता हूं मैं सिर्फ खेत में रहता हूं
बरसात में जब मैं धान खेत में लगाता हूं कई हफ्तों तक लगातार बारिश में काम करने से मेरे पैरों की उंगलियां इस तरह नवनवीन हो जाती है जैसे कोई नवजात शिशु की त्वचा हो यह नवीन त्वचा मेरी सुंदरता को बनता है क्योंकि मैं उस समय खून से लथपथ अपनी खेत से बाहर निकलता हूं मुझे गर्व है कि मैं अपना खून पसीना बहा कर देश का पेट भर पाता हूं क्योंकि देश का भोजन मेरे मेहनत से ही तो आता है।
मैं कभी सरकार से फरमाइश नहीं करता ना ही मैं सरकार से किसी चीज की रियायत की मांग करता हूं मैं कभी आलू ₹50 होने पर ₹50 की मांग नहीं करता। मैं कभी शहर की चकाचौंध की लालच नहीं करता ना ही मैं कभी महंगे महंगे शौक को पालता हूं क्योंकि मैं ही तो देश का पेट भरता हूं यदि मैं इन चकाचौंध में पड़ा तो देश कैसे आगे बढ़ेगा
मैं कभी किसी से शिकायत नहीं करता पर आज मुझे कुछ कहना है इस दुनिया में मुझे भी जीना है इस जीवन में मुझे भी कुछ कर गुजर ना है यदि मैंने आज नहीं बोला तो शायद तू शायद मेरे बच्चों को पढ़ने की शिक्षा नहीं दी जाएगी अगर आज मैं नहीं बोला तो मेरे बच्चे भूखे रह जाएंगे आज मुझे बोलना होगा क्योंकि मुझे आगे देश को जोड़ना होगा अगर देश एकजुट होगा तभी तो सभी एक साथ मजबूत होंगे
मैं किसान हूं मैं किसान रहूंगा मैं कभी प्रधानमंत्री नहीं बनूंगा पर प्रधानमंत्री जी से अनुरोध जरूर करूंगा प्रधानमंत्री जी हमें भी जीने का अधिकार है हमें भी इस दुनिया में सर उठा कर चलने का अधिकार है मेरा अधिकार हमसे ना छीन लो हमसे हमारा हथियार ना छीनो।
मैं एक किसान हूं
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