क्या है आजादी, क्या आप आजाद हैं, क्या हर व्यक्ति के लिए आजादी के अलग मायने हैं?


खुले आसमान में पंछी के समान उड़ना, एक ऐसी पतंग जिसकी डोर किसी के हाथ में ना हो, एक ऐसा जीवन जिसमें किसी का कोई रोक-टोक ना हो, एक ऐसा देश जहां पर किसी का शासन ना हो, एक ऐसी व्यवस्था जहां सभी नागरिकों को उनके हिसाब से जीवन जीने का अधिकार हो...

क्या यही है आजादी...?



यदि आपको आजादी का अर्थ समझना है तो आप किसी ऐसे देश की कल्पना करें जहां पर पूर्ण रूप से आतंकी साया है, या फिर तानाशाही का बोलबाला है 

कभी वक्त मिले तो सीरिया, अफगानिस्तान - तालिबान, फिलिस्तीन के नागरिकों के दिनचर्या को समझना, मैं विश्वास के साथ कहता हूं आप स्वतंत्रता का मतलब समझ जाएंगे 


21वीं सदी में जब हम पूरी तरह से आजाद है, इस सदी में गुलामी या फिर गुलामी के दिनों को महसूस करना काफी कठिन है l परंतु आज आजादी के 74 वर्ष बाद भी कहीं ना कहीं हम पूर्ण रुप से स्वतंत्र नहीं हैं l


वह चाहे विचारों की स्वतंत्रता हो या रोटी कपड़ा मकान की स्वतंत्रता,  हमारे ही समाज में कुछ ऐसा वर्ग रहता है जिसे दो पल की रोटी भी प्राप्त एक जंग जीतने के बराबर लगता है l


कुछ लोग तो इस आस में रात काट देते हैं, कि शायद कल एक नया सवेरा होगा और शायद खाने को रोटी मिलेगी, बात थोड़ी कड़वी है परंतु सत्य है आज एक तरफ लोग चांद एवं मंगल पर जाने की तैयारी में जुटे हैं तो वही एक समूह ऐसा भी है जो जाड़े के महीने में कंबल की व्यवस्था, कड़कती धूप में छांव की व्यवस्था, जिंदगी की जंग में रोटी की व्यवस्था में लगा रहता है l


यदि आप ऐसे समाज का हिस्सा हैं, जहां 2 वर्ग के लोग रहते हैं,  हो सकता है आपके पास वह हर एक सुविधा हो परंतु दूसरी ओर अगर एक वर्ग भूखे पेट सो जाता है तो मान्यवर आप स्वतंत्र नहीं हैl "कभी व्यक्तित्व की स्वतंत्रता" स्वतंत्रता नहीं कहलाती, स्वतंत्र पूर्ण समाज होता है, स्वतंत्र पूर्ण राष्ट्रीय होता है यदि हमारा पूरा राष्ट्र स्वतंत्र नहीं है तो हम स्वतंत्र नहीं है l


कहने को स्वतंत्रता का असली मतलब यह भी है कि घर में, देश मे, समाज में हर एक को अपनी बात कहने की और दूसरे की सुनने की आजादी हो। हर कोई दूसरे की इच्छा का सम्मान हों, परंतु यह सब महान पुस्तकों में ही परिभाषा के रूप में  पढ़ना अच्छा लगता है l


आज के समाज में सभी के लिए आजादी की अलग-अलग मायने है,  किसी को बाहर घूमने की आजादी, किसी को दोस्तों के साथ वक्त बिताने की आजादी, किसी को चैन से सोने की आजादी, या फिर किसी को पतंग उड़ाने की आजादी पसंद आती, यह ठीक भी है यह व्यक्तित्व कि अपनी पसंद है और वह अपनी पसंद के आधार पर अपनी जीवनशैली को चुन सकता है l 


आज 75वे स्वतंत्रता दिवस के इस पावन पर्व पर देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा हम एक ऐसा भारत चाहते हैं जहां सरकार नागरिक के जीवन में हस्तक्षेप ना करें,  यानी नागरिकों अपने अनुसार जीवन जीने का अधिकार है l क्या यह शत प्रतिशत सही है ? क्या हम कभी ऐसी सरकार की कल्पना कर सकते हैं?  क्या यह भारत जैसे देश में मुमकिन है ? एक नागरिक के तौर पर,  मेरा ऐसा मानना है यह बिल्कुल मुमकिन है और हमारा देश काफी हद तक इस मामले में ठीक है, परंतु हमें और भी ठीक होने की अपेक्षा रखनी चाहिए,  यह हमारा अधिकार है एवं सरकार का दायित्व l सरकार का यह दायित्व है, नागरिक के किसी भी कार्य में हस्तक्षेप ना करें l

नागरिक को अपने हिसाब से जीने का पूर्ण अधिकार है,  एवं नागरिकों को भी यह सोचना चाहिए किस हद तक सरकार की आलोचना करना सही है,  एक बहुत ही पतली सीमा होती है जब हम अपने अधिकार की मांग को भुलाकर हम उग्र हो जाते हैं कभी-कभी उग्रता भी ठीक है परंतु सरकार की आलोचना करते करते हम राष्ट्र के दामन पर आंच नहीं डाल सकते हैं इस बात का ख्याल हर एक नागरिक को रखना चाहिए l


लोगों की आपस में अलग विचारधारा हो सकती है, परंतु राष्ट्रहित में विचार अलग नहीं होने चाहिएl राष्ट्रवादी एवं वामपंथी कहीं ना कहीं दोनों की विचारधारा उनके हिसाब से राष्ट्र को ऊपर ले जाने की है परंतु दोनों की विचारधारा मेल ना खाने की वजह से जो हताहत देश में समय-समय पर देखी जाती है यह देश के लिए बहुत शर्मनाक का विषय है l

दोनों विचारधारा वाले बुद्धिजिओ अपनी मर्यादा में रहते हुए अपनी विचारधारा को स्थापित करना चाहिए,  और मेरे हिसाब से यही राष्ट्रीय उन्नति के लिए एक योगदान हो सकता है l


हो सकता है आप मेरी कुछ बातों का समर्थन ना करते हैं हो सकता है मैं कुछ आपकी बातों का समर्थन ना करूं परंतु इसमें राष्ट्र का क्या दोष? 


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