A DAY WITH NATURE : Way to be POSITIVE & ACTIVE the whole day.
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सभी को किसी न किसी प्रकार की चिंता सताए रहती है और इसी चिंता के कारण लोग अपने मानसिक सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते, अगर भारत की बात करें तो लोग अभी तक मानसिक तनाव को बीमारी ही नहीं मानते । हालांकि मैं कोई मनोचिकित्सक नहीं हूं परंतु मुझे इस बात का आभास है कि मानसिक रोग इस आधुनिक युग का सबसे भयानक समस्या समस्या हैं ।
मनुष्य जिस रफ़्तर से प्रकृति से दूर होता जा रहा है, मानसिक रोग एवं समस्याएं उसके पास उतनी तेजी से ही पास आती जा रही हैं।
मैं भी इसी आधुनिक काल का एक युवा हूं, मुझे इस बात का पूर्ण आभास है, कि मैं जितना प्रकृति से दूर हूं उतना ही समस्याएं मेरे ऊपर भारी एवं हावी हैं। परंतु इससे बचने के लिए मैं अपने जीवन में सदैव कुछ न कुछ प्रयास करता रहता हूं जिससे मेरी मानसिक समस्याएं कम हो ।
आधुनिक युग का होने के कारण मैं भी रात 12:00 तक सोता हूं एवं सुबह उठने में है बहुत आलस आता है। पर मैं आभार व्यक्त करना चाहूंगा मेरे माता-पिता का जो मुझे सदैव सूर्य उदय से पहले उठने की प्रेरणा देते हैं ।
मैं सदैव कोशिश करता हूं मेरा मानसिक संतुलन सदैव बना रहे इसीलिए मै कुछ व्यायाम एवं प्रकृति के साथ थोड़ा समय व्यतीत करने का प्रयास करता हूँ ।
अपने उम्र के सभी युवाओं को मैं हर बात बताना चाहूंगा, साथ ही साथ यह भी मैं समझता हूं कि इस आधुनिक युग मैं जहां जिम का बोलबाला है वहां पर योग की बात करना एक तरीके से अजीब हैं, परंतु अगर आप प्रकृति को महसूस करने के लिए शिमला, मंसूरी, उत्तराखंड का विचार रखते हो तो प्रातः जल्दी उठकर सूर्य एवं पेड़ पौधों का दर्शन क्यों नहीं करना चाहते? प्रकृति की सौंदर्यता हमारे आस पास ही है परंतु आधुनिकता के कारण हमने उसे या तो खो दिया है या फिर हम उसे देख नहीं पा रहे, अपने आस-पास की प्रकृति को पहचानो एवं उसे संरक्षित और बढ़ाने का प्रयास करो ।
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