Answer 2
There are a number of important issues that have been debated throughout the history of developmental psychology. The major questions include the following:
- Is development due more to genetics or environment?
- Does development occur slowly and smoothly, or do changes happen in stages?
- Do early childhood experiences have the greatest impact on development or are later events equally important?
Here are some of the basic questions within the realm of developmental psychology and what many psychologists today believe about these issues.
The debate over the relative contributions of inheritance and the environment usually referred to as the nature versus nurture debate is one of the oldest issues in both philosophy and psychology.
Philosophers such as Plato and Descartes supported the idea that some ideas are inborn. On the other hand, thinkers such as John Locke argued for the concept of tabula rasa—a belief that the mind is a blank slate at birth, with experience determining our knowledge.
A second important consideration in developmental psychology involves the relative importance of early experiences versus those that occur later in life. Are we more affected by events that occur in early childhood, or do later events play an equally important role?
Psychoanalytic theorists tend to focus on events that occur in early childhood. According to Freud, much of a child's personality is completely established by the age of five. If this is indeed the case, those who have experienced deprived or abusive childhoods might never adjust or develop normally.
In contrast to this view, researchers have found that the influence of childhood events does not necessarily have a dominating effect over behavior throughout life, however there is evidence that childhood adversity may correlate to greater levels of stress in adulthood. Many people with less-than-perfect childhoods go on to develop normally into well-adjusted adults.
One of the biggest concerns of many parents is whether or not their child is developing normally. Developmental milestones offer guidelines for the ages at which certain skills and abilities typically emerge, but can create concern when a child falls slightly behind the norm.
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वृद्धि और विकास growth and development में क्या अंतर है, हमें इस बात को समझना अति आवश्यक है। बाल विकास के अध्ययन में ‘शिक्षा मनोविज्ञान’ एक महत्वपूर्ण अंग है। एक शिक्षक को बालक की वृद्धि के साथ-साथ उस में होने वाले विभिन्न प्रकार के विकास तथा उसकी विशेषताओं का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
फ्रैंक(Frank) के अनुसार- वृद्धि को कोशीय वृद्धि के रूप में प्रयुक्त करते हुए कहा है, कि शरीर एवं व्यवहार के किसी भी पहलू में होने वाले परिवर्तन Growth वृद्धि कहलाते हैं। समय की दृष्टि से व्यक्ति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, वह विकास कहलाते हैं।
वृद्धि और विकास growth and development का अर्थ समझने के लिए हमें उन के अंतर को समझ लेना अति आवश्यक है।
growth and development वृद्धि और विकास
सोरेन्सन के अनुसार- सामान्य रूप से Growth वृद्धि शब्द का प्रयोग शरीर और उसके अंगों के भार और आकार में वृद्धि के लिए किया जाता है। इस Growth वृद्धि को नापा और तोला जा सकता है। विकास का संबंध वृद्धि से अवश्य होता है, पर यह शरीर के अंगों में होने वाले परिवर्तनों को विशेष रूप से व्यक्त करता है। जैसे:- हड्डियों के आकार में Growth वृद्धि होती है पर कड़ी हो जाने के कारण उनके स्वरूप में परिवर्तन भी हो जाता है। इस प्रकार के विकास में Growth वृद्धि का भाव सदैव नहीं रहता है।
Growthवृद्धि और development विकास की प्रक्रिया उसी समय से शुरू हो जाती हैं, जिस समय से बालक का गर्भाधान होता है। यह प्रक्रिया उसके जन्म के बाद भी चलती रहती है, फलस्वरूप वह विकास की विभिन्न अवस्थाओं में से गुजरता है, जिनमें उसका शारीरिक, मानसिक, सामाजिक आदि का विकास होता है।
हरलॉक(Harlock) के अनुसार- विकास Growth वृद्धि तक ही सीमित नहीं है। इसके बजाय इसमें प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है। विकास के परिणाम स्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रकट होती हैं।
development विकास का अर्थ एवं प्रकृति
development विकास का अर्थ एवं प्रकृतिपर्यावरण विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो सतत चलती है तथा जिसमें गुणात्मक परिवर्तन तथा परिमाणात्मक(मात्रात्मक) परिवर्तन दोनों शामिल रहते हैं। गुणात्मक परिवर्तन जैसे:- शिशुओं कि उम्र बढ़ने पर सांवेगीक नियंत्रण, में परिवर्तन विशेष भाषा को सीखने की क्षमता में परिवर्तन आदि। परिमाणात्मक परिवर्तन जैसे:- शरीर का कद बढ़ना, वजन बढ़ना, बनावट में परिवर्तन आदि से है।
विकास को समझते समय ही दो और शब्द Growth वृद्धि और परिपक्वता को समझ लेना चाहिए। Growth वृद्धि का तात्पर्य सिर्फ परिमाणात्मक परिवर्तन से है जिसे मापा जा सके। जैसे:- बालक की ऊंचाई और भाड़ में Growth वृद्धि परिपक्वता का तात्पर्य एक ऐसी अवस्था से है जो आंतरिक अभिवृद्धि तथा आनुवंशिक रूप से स्वतः निर्धारित तथ्यों द्वारा निर्देशित होता है एवं जिस पर प्रशिक्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे:- बच्चों का खिसकना, घुटने के बल चलना, खड़ा होना, दौड़ना आदि।
विकासात्मक पैटर्न पूर्व प्रसूति काल में तथा जन्म के बाद भी एक खास क्रम में होता है अर्थात पूर्वानुमेय होता है। जैसे:- शिशु पहले सिर उठाता है, इसके बाद वह बैठना प्रारंभ कर देता है, फिर घूटने चलना शुरू करता है, खड़ा होता है फिर चलता है।
विकास में परिपक्वता तथा प्रशिक्षण दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पूर्व प्रसव काल में सिर्फ परिपक्वता का महत्व होता है।
विकासात्मक pattern हालांकि एक समान होता है फिर भी प्रत्येक बालक में विकास अपने ढंग से तथा भिन्न-भिन्न गति से होता है।
development विकास में पर्यावरणीय कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
समाज बच्चों से भी उनकी उम्र के अनुसार कुछ उम्मीद करता है जिसे सामाजिक प्रत्याशा कहा जाता है। जिसे बालक समाज और संस्कृति से ही सीखता है।
development विकास के नियम अर्थात विकास के पैटर्न की जानकारी यदि माता-पिता और शिक्षक को हो तो दोनों के लिए फायदेमंद होती है। बालकों के व्यवसायिक निर्देशन में, वातावरण के साथ समायोजित करने के लिए प्रेरणा देने में सहायक होते हैं।
development विकास के नियम के आधार पर शिक्षकों को यह पता चलता है कि संतुलन की अवस्था में बालक खुश रहते हैं जबकि असंतुलन की अवस्था में अशांत रहते हैं। ऐसे में बालकों में संतुलन की अवस्था में मार्गदर्शन करने से ज्यादा लाभ होगा।
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